नई दिल्ली: “हम दूसरों से शास्त्र लेने वाले देश नहीं हैं। हम एक ऐसे देश हैं जहां सभ्यता की जड़ें पांच हजार वर्ष से भी अधिक पुरानी हैं.” यह बात उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने राजधानी दिल्ली में अमेरिकन बार एसोसिएशन स्प्रिंग कांफ्रेंस के दूसरे संस्करण को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए कही. कई धार्मिक समुदायों को शरण देने के भारत के लंबे इतिहास का उल्लेख करते हुए उपराष्ट्रपति ने जी-20 के ‘एक पृथ्वी एक परिवार एक भविष्य’ के नारे की तरफ ध्यान दिलाया. संसद से पंचायत स्तर तक भारत की संगठित लोकतंत्र की परंपरा पर प्रकाश डालते हुए उपराष्ट्रपति ने नागरिकता संशोधन अधिनियम के बारे में अज्ञानतापूर्ण टिप्पणियां करने के लिये संप्रभु मंचों के उपयोग पर अपनी कड़ी असहमति जाहिर की. धनखड़ ने इस बात पर जोर दिया कि नागरिकता संशोधन अधिनियम हमारे पड़ोस में धार्मिक आधार पर सताये गये लोगों को राहत देने के लिये है. इससे किसी को भी नागरिकता से वंचित नहीं किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि फिर भी आख्यान बहुत अलग है.
सीएए के तहत नागरिकता के लिए 2014 की कट-आफ तारीख का जिक्र करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि हम लोगों को इसका फायदा उठाने के लिए आमंत्रित नहीं कर रहे हैं. आखिर इससे किसे फायदा हो रहा है? जो लोग पहले से ही इस देश में हैं. वे एक दशक से अधिक समय से इस देश में हैं. उन्होंने कहा कि जमीनी हकीकत से अनभिज्ञ रहकर हमें सबक सिखाने की कोशिश करने वालों को फटकार लगानी चाहिए. उपराष्ट्रपति ने कहा कि कुछ देश ऐसे हैं, जो कई मंचों से हमें सिखाना चाहते हैं कि लोकतंत्र क्या है? उन्होंने युवाओं से सोशल मीडिया और अन्य मंचों पर ऐसी चीजों के खिलाफ आवाज उठाने के लिये कहा. उन्होंने युवाओं से परिश्रम में संलग्न होने का आह्वान किया. इस आयोजन में भारत के अटार्नी जनरल आर वेंकटरमणि, भारत के सालिसिटर जनरल तुषार मेहता, सोसाइटी आफ इंडियन ला फर्म्स के अध्यक्ष डा ललित भसीन, इंडिया कमेटी की अध्यक्ष प्रतिभा जैन, एबीए और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे.
 
											
				 
			
											
				 
									 
				 
				 
				 
				