साहित्य की प्रासंगिकता आज भी उतनी जितनी पूर्वकाल में थीः कुल्लू साहित्य उत्सव में तोरूल एस रवीश
कुल्लू: "साहित्य देश और विश्व की हर कड़ी को जोड़ता है. साहित्य की प्रासंगिकता आज भी उतनी ही जितनी पूर्वकाल में थी. समय के साथ इसमें बदलाव आते रहे हैं." यह बात [...]