संवादी के ‘हंसते-हंसते’ सत्र में सर्वेश अस्थाना, अन्नू अवस्थी, आद्या श्रीवास्तव और पंकज प्रसून की चुहल ने गुदगुदाया

लखनऊ: संवादी के दूसरे दिन का समापन सत्र ठहाकों के नाम रहा. मंच पर थे स्माइल मैन के नाम से मशहूर हास्य कवि सर्वेश अस्थाना, पहचान तो गए हुइहौ से घर-घर [...]

2024-01-29T14:39:31+05:30Tags: , , |

बाजारों में बिकता जोश नहीं, एक अहसास है लखनऊ… संवादी के सत्र ‘सबरंग लखनऊ’ में वक्ताओं का मत

लखनऊ: संवादी के 'लखनऊ सबरंग' सत्र में न सिर्फ इस शहर के इतिहास को टटोला गया, बल्कि उन पहलुओं की भी पड़ताल हुई, जो लखनऊ को लखनऊ बनाते हैं. हमराही बने श्रोता पुराने समय [...]

2024-01-29T14:43:30+05:30Tags: , , , |

सांस लेने से सांस छोड़ने तक राम ही राम: संवादी के ‘राम का लोकरंजक रूप’ सत्र का निष्कर्ष

लखनऊ: हे राम, राम राम, हाय राम, राम नाम सत्य है... सांस लेने से लेकर सांस छोड़ने तक एक ही नाम, राम ही राम. जन्म से लेकर मृत्यु और लोक व्यवहार के प्रत्येक भाव [...]

2024-01-29T14:43:22+05:30Tags: , , |

संवादी के ‘सबमें रमे सो राम कहाए’ सत्र में मनोज मुंतशिर शुक्ला ने ‘आदि पुरुष’ के लिए गलती मानी

लखनऊ: अभिव्यक्ति के उत्सव 'संवादी' के 'सबमें रमे सो राम कहाए' सत्र में गीतकार मनोज मुंतशिर शुक्ला से दैनिक जागरण के संपादक-उत्तर प्रदेश आशुतोष शुक्ल ने मानो पूरे अवध की ओर से यह सवाल [...]

2024-01-29T14:43:14+05:30Tags: , , |

आदर्शवाद और बेवकूफी के बीच की लकीर बहुत महीन: संवादी के राजनीति का मैजिक सत्र में वक्ता

नऊ: संवादी के 'राजनीति का मैजिक' सत्र में शहजाद पूनावाला से 20 साल की मित्रता और शाजिया इल्मी से कानपुर का पड़ोसी होने का नाता निकालते हुए वरिष्ठ पत्रकार मनोज राजन त्रिपाठी ने पहला [...]

2024-01-29T14:43:07+05:30Tags: , , , |

हरिवंश से ‘कलश’, ‘सृष्टि का मुकुट: कैलास मानसरोवर’ और ‘पथ के प्रकाश पुंज’ पुस्तकों पर संवादी में चर्चा

लखनऊ: 'हम ऐसी शोधपरक सामग्री रचें-गढ़ें कि लोगों में लंबे लेख की प्रवृत्ति उपजे. चार लाइन की संक्षिप्त सामग्री पढ़ने की उनकी बुरी आदत छूट जाए.' यह कहना था राज्यसभा के उपसभापति, लेखक-पत्रकार [...]

2024-01-29T14:42:58+05:30Tags: , , |

‘लोक से क्यों दूर रंगमंच’ संवादी के सत्र में बिपिन कुमार, वामन केंद्रे व भानू भारती से अजय मलकानी का संवाद

लखनऊ: बीज को पौधा बनने के लिए जिस तरह सूर्य का प्रकाश चाहिए होता है, उसी भांति कलाओं को प्रस्फुटित करने के लिए लोक की सुषमा आवश्यक होती है. रंगमंच एक [...]

2024-01-29T14:42:51+05:30Tags: , , |

यतीन्द्र मिश्र की पुस्तक ‘गुलज़ार साब’ पर संवादी में लेखक और सलीम आरिफ ने मीना कुमारी पर जो कहा

लखनऊ: "गुलज़ार चांद को नए तरीके से देखते हैं. कभी रोटी के रूप में तो कभी थाली के तौर पर. कभी चलते हुए पहिए के रूप में. उन्होंने सूरज पर भी [...]

2024-01-29T14:42:45+05:30Tags: , , , |

भारत हमेशा उद्यमिता को बढ़ाने वाला देश रहा: संवादी में ‘मोदी एम्पावर्स डेवलपमेंट’ पुस्तक पर चर्चा में वक्ता

लखनऊ: "कई देश कृषि को पिछड़ेपन का कारण मानते हैं. कृषि किसी भी तरह से पिछड़ेपन का कारण नहीं है. कोविड के समय में भारत ने कई देशों को खाद्यान्न उपलब्ध [...]

2024-01-29T14:42:38+05:30Tags: , , |

गहरी अभिव्यक्ति और यथार्थ के बीच फंसा लेखन: ‘आज की स्त्री और कविता’ विषयक सत्र में रचनाकारों का मत

लखनऊ: भारतेंदु नाट्य अकादमी में संवादी के दूसरे सत्र में 'आज की स्त्री और कविता' विषय सत्र में संवाद से यह संकेत निकला कि यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता अर्थात जहां [...]

2024-01-29T14:42:30+05:30Tags: , , , |
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