नदियों को सुय्या वैसे नचाते थे जैसे संपेरा सांप को: राष्ट्रपति मुर्मु ने कश्मीरी साहित्य की कथा का किया जिक्र
श्रीनगर: "सतत विकास का सबक कश्मीर की विरासत का हिस्सा है. यहां की एक कहावत है 'अन् पोशि तेलि, येलि वन् पोशि' यानी तभी तक अन्न रहेगा जब तक वन रहेंगे. कुदरत की सौगातों [...]